कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बेंगलुरु (कर्नाटक) से सोलापुर (महाराष्ट्र) के बीच रोल-ऑन / रोल-ऑफ (आरओ-आरओ) ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
ट्रेन को अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने में लगभग 17 घंटे का समय लेगी जो लगभग 682 किलोमीटर की दूरी पर है। एक बार में यह ट्रैन 42 ट्रक को लोड कर सकेगी।
RORO सर्विस क्या है?
दक्षिण पश्चिम रेलवे (एसडब्ल्यूआर) ने कहा कि इसमें खुले सपाट वैगन होंगे जिन पर माल लदे ट्रक लोड हो सकेंगे। ट्रक के चालक और क्लीनर अपने वाहनों के साथ ही रहेंगे। उन्हें एक पॉइंट पर छोड़ दिया जायेगा जहाँ से ट्रक ड्राइवर उनके माल समते अपने गंतव्य को चले जायेंगे।
क्या फायदे होंगे इस RORO सर्विस से?
SWR के अनुसार, RO-RO सेवा सड़क पर दुर्घटनाओं को कम करती है, सुरक्षा में सुधार करती है, ईंधन की बचत करती है, और विदेशी मुद्रा प्रदान करती है।
यह आवश्यक वस्तुओं जैसे पेरीशबल्स, खाद्य पदार्थों और छोटे कार्गो के तेजी से परिवहन को सुनिश्चित करता है।
हालांकि यह माल की बड़े पैमाने पर आवाजाही की सुविधा देता है और प्रदूषण को कम करता है, परिवहन की लागत सड़क से परिवहन की तुलना में कम है।
Leave a Reply